लोहरदगा का ऐसा गांव जहां आधी आबादी कर गए पलायन : गांव के लोगों की मांग आज भी अधूरी, पढ़िये पूरी खब़र

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लोहरदगा : झारखंड 15 नवंबर 2000 को भारत के 28 वें राज्य के रुप में अस्तित्व में आया. राज्य बनने की खुशी के अवसर पर लोहरदगा के लोगों की वर्षों पुरानी मांग पूरा करने का वादा किया गया. लेकिन विकास आज तक धरातल पर नहीं उतरी है. पीएम और सीएम से लेकर जनप्रतिनिधि बदल गए. मगर इस गांव की तस्वीर नहीं बदली.

हम बात कर रहे हैं लोहरदगा मुख्यालय से तीस किलोमीटर दूर सेन्हा प्रखंड के हेसवे गांव की जहां आजादी के 76 वर्ष बाद आज भी विकास का बाट जोह रहा है. सरकार और सरकारी सिस्टम के अंतिम गांव तक विकास पहुंचाने के दावों को सच की पोल खोल रहा है. हेसवे गांव के लोग खुद को ठगा महसूस करते हैं. विकास के नाम पर सिर्फ धोखा मिला है.गांव में पेयजल,सड़क,शिक्षा सहित रोजगार के नाम पर कुछ भी नहीं है.

आपको बता दें कि जिले के हेसवे करीब चार सौ लोगों का बसा हुआ गांव हैं. मगर अब गाँव में सिर्फ दो सौ लोग ही रहते हैं. आधी आबादी तो रोजगार को लेकर पलायन करने पर मजबूर हो जाते हैं. अधिकतर घरों में ताले लटके हुए पाए जाते हैं. आजादी के अमृत महोत्सव के सही मायने तब तक अधूरे हैं जब तक ऐसे गांव तक मूलभूत सुविधाएं नहीं पहुंचती है.


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