हत्याकांड का उद्भेदन : पुलिस ने जीतलाल मांझी हत्याकांड मामले में 5 आरोपियों को दबोचा

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बोकारो : बड़ी खबर बोकारो से जहां पुलिस नेजीतलाल मांझी हत्या मामले में 5 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है. पकड़े गये अपराधियों के पास से हत्या में प्रयुक्त कुल्हाड़ी, रस्सी सहित मृतक का गमछा भी मिला है. 7 जनवरी को घटना हुई थी. घटना के बाद मृतक की पत्नी ने 11 जनवरी को थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी.


बताया जा रहा है कि महुआटांड थाना क्षेत्र के फुटकाडीह बाजारटांड़ के रहने वाले जीतलाल मांझी को जमीन विवाद में सोहराय पर्व के दौरान 7 जनवरी की रात हत्या कर दी गई थी. पुलिस ने हत्याकांड का खुलासा किया है. मामले में पुलिस ने बताया कि मृतक की पत्नी मझली देवी के द्वारा 11 जनवरी को थाने में मामला दर्ज कराई थी. नामजद प्राथमिक अभियुक्त की निशानदेही पर राजरप्पा सिदिरका खादान से मृतक के शव और उसके साइकिल को बरामद किया गया. इस मामले में पुलिस ने हत्या में उपयोग किए गए कुल्हाड़ी रस्सी सहित मृतक का गमछा भी बरामद किया है.


पुलिस ने हत्या के आरोपी अनिल फिस्कु, केला माँझी, सीलाराम मांझी लक्ष्मण किस्कु और सुलेन्द्र किस्कु को अरेस्ट कर लिया है. गिरफ्तार सभी अपराधी फुटकाडीह बाजारटाँड़ के ही रहने वाले हैं. पूछताछ के क्रम में सुलेन्द्र किस्कु ने अपना अपराध स्वीकारोक्ति बयान में बताया कि दिनाक 7 जनवरी को गांव में सोहसाई पर्व मनाने के क्रम में रात्रि करीब 09.30 बजे सुभाष किस्कू ने जीतलाल माँझी को धक्का देते हुए धनेश्वर किस्कु उर्फ भोला किस्कू के राहड बाड़ी में ले गया जो वापस आकर सुरेन्द्र किस्कु को भी अपने साथ ले गया. सुलेन्द्र किस्कु और सुभाष किस्कू ने जीतलाल माँझी के गमछी से ही जीतलाल माँझी का गला दबा कर हत्या कर दिया और लक्ष्मण किस्कु को बुला कर तीनों मिल कर जीतलाल माँझी के शव को गाँव के ही सरना स्थल के पास कुओं में डाल दिया. एक दिन बाद 9 जनवरी को सुभाष कुस्कु , अनिल किस्कु , कैला माँझी , सीताराम मांझी, लक्ष्मण किस्कु, सुलेन्द्र किस्कू सभी मिल कर जीतलाल माँझी के शव को रात्रि में कुओं से निकाल कर लाश को छुपाने के लिए होरो दहरा में गड्‌ढ़ा में ले जाकर डाल दिया. 10 जनवरी के रात्रि में अनिल किस्कु ,कैला माँझी , सीताराम माझी लक्ष्मण किस्कु और सुलेन्द्र किस्कु ने मिलकर जीललाल माँझी के शव को होरो दहरा में गड्ढा से निकाल कर साइकिल एवं कन्धा में ढोकर उसके शव में पत्थर बाँध कर राजरप्पा सिदिरका खादान में पानी में डाल दिया.


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