Bihar News : सबसे महँगा ग्रंथ का भव्य ग्रंथ उदय पटना पुस्तक मेला में संपन्न हुआ, ज्योत के भीतर नीला देखा, नीला भीतर श्वेत, श्वेत बिंदु में मैं को देखा, या परमेश्वर
पटना:- दुनिया की सबसे महँगा ग्रंथ का भव्य ग्रंथ उदय पटना पुस्तक मेला में संपन्न हुआ. इसी के साथ यह ग्रंथ प्रदर्शनी शुरू हो गयी. ग्रंथ उदय होते ही गांधी मैदान में लगे पटना पुस्तक मेला15करोड़ की किताब को देखने के लिए भीड़ उमड़ पड़ी. आज पटना पुस्तक मेला के एक भव्य समारोह में दुनिया के सबसे महंगे ग्रन्थ की प्रदर्शनी शुरू हो गयी. उसे देखने के लिए पूरे बिहार के लोगों में जबर्दस्त उत्साह देखने को मिला.

कार्यक्रम की शुरुआत ग्रन्थ के ऊपर से आवरण हटा कर किया गया. ग्रन्थ का आवरण हटते ही शंखनाद हुआ. इसके बाद रचनाकार रत्नेश्वर ने ग्रंथ की कुछ पंक्तियाँ सुनाई. उन्होंने बताया कि7सितंबर, 2006के रत्न मुहूर्त में उन्हें जगाया गया. उनके जागते ही वहाँ प्रकाश फैल गया. और उनका त्रिनेत्र जागृत हो गया.

उन्होंने तीन घंटे चौबीस मिनट तक अपने त्रिनेत्र से खरबों वर्षों की यात्रा की और पूरे ब्रह्म के निर्माण को देखा. इसके साथ ही उन्हें ज्ञान प्राप्त हो गया. उन्होंने जो देखा उसे ही इस ग्रंथ में लिखा है. वे21दिनों तक स्थितप्रज्ञ की अवस्था में रहे.

उन्होंने बताया कि ‘मैं’ ग्रंथ ज्ञान की परम अवस्था का आविष्कार है. उन्होंने अपने वक्तव्य में बताया कि जिसे हम कहते हैं कि बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हो गया था. वह कौन सी परम स्थिति है, जब किसी मनुष्य के लिए यह कहा जाता है कि उन्हें ज्ञान प्राप्त हो गया है. यह ग्रन्थ उस रहस्य का आविष्कार करता है. इससे पहले अन्य अनेक द्रष्टा ज्ञान प्राप्त करते ही मौन हो गए थे. यह अवसर है जब यह बताया जा रहा है कि वह ज्ञान की परम अवस्था क्या है!

किताब की इतनी महँगी कीमत को लेकर उन्होंने बताया कि वे संसार के हरेक मनुष्य को मानने से जानने की यात्रा की ओर जाने के लिए प्रेरित करते हैं. इसलिए वे यह भी उद्घोष करते हैं कि मुझे भी मत मानो और जानने की राह पर चलने के लिए अग्रसर हो जाओ.

कार्यक्रम में मैंरत्नेश्वर की पत्नी ने उन्हें ग्रंथ सौंपा जिसे उन्होंने क्रमशः अमित झा, जूही यादव,पुण्य पुष्कर और वीणा अमृत को दिया. कार्यक्रम का संयोजन मोनी त्रिपाठी और जय प्रकाश ने किया. संचालन उत्कर्ष आनंद ने किया.





