ये अस्तित्व की लड़ाई है ! : झारखंड में कांग्रेस के तीन प्रत्याशी लड़ रहे अपनी अस्तित्व की लड़ाई
झारखंड में झारखंड मुक्ति मोरचा , कांग्रेस , राजद गंठबंधन की सरकार है
इंडी गंठबंधन की तरफ से कांग्रेस ने सात, झामुमो ने पांच सीटों पर दिये हैं उम्मीदवार
झारखंड में चौथे, पांचवें, छठे औऱ सातवें चरण में लोकसभा की 14 सीटों के लिए वोट डाले जायेंगे. राज्य में इंडिया गंठबंधन के समझौते के अंतर्गत कांग्रेस ने सात, झारखंड मुक्ति मोरचा ने पांच सीटों पर उम्मीदवार दिये हैं. कांग्रेस ने रांची से पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोध कांत सहाय की बेटी यशस्विनी सहाय को टिकट दिया है. वहीं धनबाद से कांग्रेस विधायक जयमंगल सिंह की पत्नी अनुपमा सिंह को प्रत्याशी बनाया गया है. रांची और धनबाद से कांग्रेस की प्रत्याशी के बीच अपने ही अस्तित्व की लड़ाई सबसे बड़ा सवाल बन गया है. दोनों को पहले आम मतदाताओं के बीच अपने बारे में बताना पड़ रहा है, फिर राजनीति के मैदान में इनकी काबिलियत पर भी पार्टी कार्यकर्ता से लेकर मतदाता तक पशोपेश में हैं.
रांची से कांग्रेस प्रत्याशी यशस्विनी सहाय का मुकाबला कद्दावर भाजपा कैंडिडेट संजय सेठ के साथ है, जो दूसरी बार लोकसभा चुनाव के कैंडिडेट हैं. उनके समर्थन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रोड शो कर जनता की नब्ज को टटोलने की कोशिश की है. इससे भाजपाई काफी उत्साहित हैं. जनता की भीड़ को देख कर भाजपा प्रत्याशी अपनी जीत को लेकर शत-प्रतिशत आशान्वित भी हो गये हैं. वहीं कांग्रेस प्रत्याशी की बात करें, तो यशस्विनी का चुनावी मैदान में इंट्री की सारी पटकथा खुद उनके पिता ने लिखी है. बाद में यशस्विनी की मां भी चुनावी मैदान में आयीं, जो टीवी की एक बड़ी एक्ट्रेस थीं. बेटी ने एलएलबी की डिग्री विदेश से ली है. फिलहाल कैलाश सत्यार्थी फाउंडेशन से जुड़ी हुई हैं. इनके सोसल मीडिया की सारी रिस्पांसिबिलिटी खुद राजनीतिक पिता सुबोध कांत सहाय ने उठा रखी है. अपने पुराने तर्जुबे और अन्य पहुंच का वे चुनावी रणभेरी में उठाने में लगे हुए हैं.
कमोबेश ऐसी ही स्थिति धनबाद लोकसभा सीट की प्रत्याशी अनुपमा सिंह की भी है. टिकट मिलने के बाद कई खेमों में बंटे कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को यह समझ नहीं आ रहा है कि करना क्या है. खुद अनुपमा सिंह भी अपने को झारखंड की बेटी और बड़े राजनीतिज्ञ रहे राजेंद्र सिंह की पतोहू साबित करने में अधिकतर समय जाया कर रही हैं. राजनीतिक बयानबाजी और जुमलेबाजी में अभी इन्हें महारत नहीं है. पर पति कुमार जयमंगल सिंह बाकी कमियों को पूरा करने में लगे हैं. कांग्रेस का एक खेमा धनबाद के सिंह मेंसन से भी नजदिकी बनाये हुए है और विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह के साथ भी अब इनकी फब रही है. साथ ही साथ ढुल्लू महतो, जो भाजपा के उम्मीदवार हैं के विरुद्ध नाराजगी को कांग्रेस अपनी तरफ खींचने में लगी हई है. चुनावी रणक्षेत्र में बाहरी और भीतरी का भी दांव खेला जा चुका है, जिसे पाटने की कोशिश दोनों तरफ से की जा रही है. यह भी बातें कही जा रही है कि कांग्रेस को अल्पसंख्यकों का वोट मिल जायेगा. पर इसे साधने के लिए बड़ी रणनीति की जरूरत है. बोकारो, धनबाद, टुंडी, फुसरो, निरसा के मतदाताओं को भी कांग्रेस उम्मीदवार की खुबियों और कमियों का आकलन करना होगा.
ऐसा ही नजारा चतरा लोकसभा सीट की भी है. यहां पर कांग्रेस के कैंडिडेट केएन त्रिपाठी हैं. ये राज्य के पूर्व मंत्री रहे हैं. इनके सामने राजपुतों को रिझाने की सबसे बड़ी चुनौती है. भाजपा ने कालीचरण सिंह को कैंडिडेट घोषित कर राजपुत वोटरों को रिझाने का काम पूरा कर लिया है. कांग्रेस और राजद के कार्यकर्ताओं में भी केएन त्रिपाठी के कैंडिडेचर पर बाहरी व्यक्ति को थोपने की बातें कही जा रही हैं. रांची में आयोजित उलगुलान महारैली में इसको लेकर राजद और कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच झड़प भी हुई थी, जिसके बाद दोनों तरफ से प्राथमिकी भी दर्ज की गयी. अब कांग्रेस में इन तमाम पहलुओं को लेकर इंडी गंठबंधन को कैसे मजबुत करना है, इस पर अधिक तवज्जो देनी होगी. चौथे चरण के मतदान में चाईबासा, खूंटी, पलामू और लोहरदगा में 13 मई को मतदान डाले जायेंगे. धनबाद औऱ रांची के लिए 25 मई को मतदान डाले जायेंगे, जबकि 20 मई को चतरा में वोट डाले जायेंगे.
रांची से दीपक कुमार की रिपोर्ट