शशिभूषण सिंह-पार्ट-2 : आधा दर्जन से अधिक प्राथमिकी, हाईकोर्ट में कई केस लंबित होने पर भी सरकार नहीं कर रही भ्रष्ट सीओ शशिभूषण सिंह पर कार्रवाई
डोरंडा थाना में चार, कटकमदाग थाने में एक, सीबीआइ और एसीबी कोर्ट में दो केस हैं दर्ज
इडी की ओर से पीएमएलए के प्रावधानों के अनुरूप केस दर्ज करने की हो रही है तैयारी
राज्य के भ्रष्ट अंचल अधिकारी शशि भूषण सिंह के खिलाफ राजधानी रांची, हजारीबाग समेत अन्य जगहों पर कई प्राथमिकी और मामले दर्ज हैं. राजधानी रांची के डोरंडा थाने में इनके खिलाफ और इनकी पत्नी तथा दोस्त संजय सिंह के खिलाफ चार मामले दर्ज हैं. संजीवनी बिल्डकोन घोटाला मामले में शशिभूषण सिंह, तत्कालीन सीओ रहे कृष्ण कन्हैया राजहंस के खिलाफ सीबीआइ और एसीबी का दो ज्वाइंट एफआइआर दर्ज है. हजारीबाग के कटकमदाग थाने और चुरचू में भी इनके खिलाफ मामले दर्ज कराये गये हैं. इसके अलावा भ्रष्टाचार और आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में इन पर 63 ऑफ 16 नामक मामला एसीबी कोर्ट में विचाराधीन है, हालांकि निगरानी विभाग के डीएसपी रहे राज नारायण सिंह ने इनकी संचिका को दबा कर रखी है. अब राज नारायण सिंह सेवानिवृत हो चुके हैं.
सीबीआइ और एसीबी का अब भी मामला है लंबित, हर महीने पड़ती है तारीख
शशिभूषण सिंह के खिलाफ सीबीआइ में दो मामले लंबित हैं. इसके खिलाफ सीबीआइ की विशेष अदालत में संजीवनी बिल्डकोन मामले में दो प्राथमिकी दर्ज है. यह मामला अब भी विचाराधीन है. इसी प्रकार ईडी में एक मामला भी दर्ज है. सबसे पहले इनके खिलाफ 63 ऑफ 2016 के तहत निगरानी थाने में मामला दर्ज हुआ था. अब इसका रिकार्ड गायब हो गया है. इस मामले में किसी और का ब्योरा ऑनलाइन वेबसाइट में दिखता है. सीबीआइ के CBI/SPE/ACB/Ranchi 18 (S)-2013 (R), CBI/SPE/ACB/Ranchi-17 (S)-2013 (R) और RC केस नंबर-18 (S)/2013 R इनके खिलाफ लंबित है. ऐसे में निगरानी विभाग का स्वच्छता प्रमाण पत्र इन्हें किन शर्तों के आधार पर दिया गया. इनके खिलाफ ईडी में भी प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है. पिछले 12 मार्च को शशिभूषण सिंह के हवाई नगर स्थित आवास समेत कांग्रेस की विधायक रही अंबा प्रसाद के 16 से अधिक ठिकानों पर छापेमारी की गयी थी. छापेमारी में 35 लाख रुपये नगद, जिसमें शशिभूषण सिंह के यहां से 15 लाख रुपये नगद मिले थे. इतना सब कुछ होने के बाद भ्रष्ट शशि भूषण सिंह को दंडित नहीं करते हुए सीओ बना कर उपकृत किया गया.
शशिभूषण सिंह ने अपने सहपाठियों के साथ की है दगाबाजी
शशिभूषण सिंह ने अपने सहपाठियों के साथ भी दगाबाजी की है. पहले हल्का कर्मचारी थे, फिर अंचल निरीक्षक सह कानुनगो बने, फिर व्यवस्था का फायदा उठा कर सीओ बन गये, वह भी एग्जाम में टॉप करते हुए. सीआइ से सीओ के लिए जो प्रोन्नति परीक्षा ली गयी थी, उसमें से श्रवण कुमार झा, रुद्र प्रताप साहू, सुधांशु पाठक, समेत 70 से अधिक अंचल निरीक्षक सह कानूनगो से सीओ नहीं बन पाये थे. श्रवण कुमार झा ने झारखंड हाईकोर्ट की शऱण ली अब कोर्ट ने इन्हें सीओ बनाने की अनुमति सरकार ने दे दी है. सरकार की ओर से 64 प्रोन्नति पाये अंचल निरीक्षकों की फाइल निर्वाचन आयोग में लंबित है. बताया जाता है कि इस एग्जाम में सेकेंड, थर्ड, फोर्थ और अन्य टॉपर 2019 के बाद से पांच साल तक सीआइ ही रहे. उस समय राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग से संयुक्त सचिव राम कुमार सिन्हा थे. सीआइ से लेकर सीओ के पद पर प्रोन्नति के बड़े पैमाने पर पैसे की उगाही की गयी थी।
कई हैं इसके राजदार
सूत्रों का कहना है कि राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के कई अधिकारी इस भ्रष्ट सीओ के साथ मिले हुए हैं. विभाग के पीउन, डिस्पैच क्लर्क, संयुक्त सचिव समेत कई अधिकारियों के साथ इसकी बेहतर बनती है. इसी का नतीजा है कि कार्मिक, प्रशासनिक एवं राजभाषा सुधार विभाग तथा राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग में आनेवाली शिकायतों पर समय पर अमल ही नहीं होता है। सरकार की तरफ से यदि किसी तरह की कार्रवाई करने के संकेत मिलते हैं, तो ये जनाब जांच अधिकारी को ही हड़का देते हैं. हाल ही में संजीवनी बिल्डकोन मामले में राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने रांची में नगड़ी सीओ और डीडीसी की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति बनायी थी. समिति ने सरकार को यह रिपोर्ट दी कि हल्का कर्मचारी रहते हुए शशिभूषण सिंह ने 35 डिसमिल जमीन की जगह 40 डिसमिल जमीन अनामिका नंदी और संजीवनी बिल्डकोन के पार्टनरों के नाम से दोहरी जमाबंदी कर दी. झारखंड हाईकोर्ट ने इस पर गंभीर टिप्पणी करते हुए हल्का कर्मचारी को ही दोषी करार दिया था. यहां आपको बतायें कि जांच अधिकारी रहे नगड़ी अंचल के सीओ का तबादला शशिभूषण सिंह ने साहेबगंज करा दिया.